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अजीब अजीब बाते चल रही हे आज के युग में भी जो तथ्यों के विपरीत हे उसे भी केवल रूढ़ीवाद से सच माना जा रहा क्या वास्तव में अंडा साकाहारी हे या युही एड बना कर जनता को बेव्खुफ़ बनाया जा रहा अरे मेरे भोले भाइयो क्या आप इतना सा तथ्य भी नहीं जानते की साकाहारी सब्द का अर्थ क्या हे तो सुनो साक =वनस्पति से ,आहार =भोजन यानि पृथ्वी से उगने वाली वनस्पतियों से बना भोजन , अब समझे श्रीमान जी ये ही हे साकाहार अब आप बताये अब आप ये बताएये ये अंडा कोनसे वृक्ष पर उगता हे या कोनसे वृक्ष का फल हे समझे मेरे मेरे भोले भाई ये तो आपको सरासर वेवकूफ बनाया जा रहा हे अब में आपको बताता हु वास्तव में अंडा क्या हे एक जीवीत प्राणधारी का जिससे जनम होता हे या कहे एक प्राणी का चेतन बीज यानि जो एक चेतन प्राणी के जनम का आधार हे और आप जनम लेने से पहले हे उस प्राणीबीज को खा जाते हे क्या ये ही आपकी मनुष्यता हे क्या मनुष्य पने की बात हे जो बिना सोचे समझे कुछ भी अपने पेट में डालते जाये मेरे भाई ये आपका उदर परमात्मा ने केवेल साकाहार के पाचन के योग्य बनाया हे इसका सबसे बड़ा प्रमाण हे मासाहारी प्राणियों की आंते मनुष्य के अपेक्षा भहुत कम लम्बी होती हे दूसरा प्रमाण हे उनके दात मॉस को फाड़ने में स्वयं सकसम होते हे उने किसी चाकू छूरी की आवश्यकता नहीं होती \दूसरी वो उसके प्राकर्तिक अभ्यस्त होते हे उन्हें उसमे कोई तल भुन या मसाले मिलाकर खाने की जरुरत नहीं पड़ती वो उन्हें वेसे ही खाते हे जबकि इन्सान एसा नहीं करता क्योकि ये भोजन उसके लिए प्राकर्तिक हे ही नहीं जो जिसके लिए नेसर्गिक रूप से बना हे उसे रूप परिवेर्तन की आवश्यकता ही नहीं पड़ती/
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