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भुत प्रेत कुछ नहीं हे

sabke kaam ki baate
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मित्र पहले तो हम ये जाने परमात्मा क्या हे उसने स्वयं अपने स्वरूप के बारे में क्या कहा हे क्योकि जो वेद वाणी में स्वयं परमातमा ने कहा हे उससे बड़ा प्रमाण कोई नहीं हो सकता क्योकि जेसे अपने अविष्कार के बारे में स्वयेम अविस्कर्कर्ता बता सकता हे और जितना वो प्रमाणिक होगा उतना दुसरे का बताया नहीं इसी तरह जो वेद ईश्वर वाणी हे उससे बड़ा कोई प्रमाण नहीं सर्व प्रथम सृस्ती रचना के बाद जब त्रेविस्तेप या आज के तिब्बत में मानव का प्रादुर्भाव हुआ तब चार ऋषियों को १. अग्नि –ऋषि को ऋग्वेद ,२,वायु ऋषि को –यजुर्वेद ३.सूर्य ऋषि को–सामवेद ४.अंगिरस ऋषि को–अथर्वेद इस प्रकार क्रमश: इन चारो ऋषियों को सर्वप्रथम वेद ज्ञान प्राप्त हुआ अब अगर आप ये सोचे उन्हें ही ये ज्ञान परमात्मा ने क्यों दिया क्योकि वे सबसे पवित्र आत्माए थे .अब दूसरा प्रसन मन ये आये की उन्हें ये वेद ज्ञान परमात्मा ने केसे दिया उनकी ह्रदय में क्योकि परमात्मा अती सूक्ष्म हे “अणोरणीयान और महतो महीयान हे ” अर्तार्थ सूक्ष्म इतना की कण से सूक्ष्म और बड़ा इतना की ये सारा ब्रह्माण्ड उसके गर्भा में समाया हे तभी तो यजुर्वेद अ० १३ मंत्र ४ देखे –ये सारा संसार जिसके गर्भा में समाया हे अर्तार्थ जो सारे संसार का उत्पत्ति स्थान हे जो स्वयं प्रकाश स्वरुप हे और जिसने प्रकाश करने वाले सूर्य चन्द्र आदि बनाये हे जो सम्पुरण जगत का प्रसिद स्वामी हे जो सब जगत से पूर्व वर्तमान था जो इस भूमि आदि को धारण करता हे हम लोग उस सुख स्वरुप परमात्मा की योगाभ्यास और अति प्रेम से भक्ति करे , अब सोचे मित्र की जो अनंत ब्रह्माण्ड को अपने गरभा में धारण किये हे क्या उसका किसी इन्सान पर आना जाना संभव हे भला राइ के दाने पर सुमेरु पर्वत टिक सकता हे ऐसे ही किसी इन्सान पर देवी सकती I का आना जाना चालक लोगो की चाल बजिया मात्र हे जिसमे अच्छे अच्छे भी दोखा खा जाते हे जेसे आपने माजिक शो देका हो उसमे हाथ की सफाई और ट्रिक से क्या क्या इलुसें दिखा देते हे जेसे —लड़की को हवा में उड़ना , उसकी गर्दन काट कर फिर जोड़ देना आदि आदि क्या ये सब भी चालाकी नहीं हे जिसे आप पकड़ नहीं पते इसी तरह आप जो चमत्कार की बात करते हे उसमे कुछ भ I प्रकर्त I नियमे के विपरीत नहीं होता या ये कहे इक बार जो परमात्मा ने प्राकर्तिक पदार्थो के गुण धरम बना दिए हे उन्हें कोई नहीं तोड़ सकता जेसे सूर्य सीतलता नहीं दे सकता और चन्द्रमा उष्मा नहीं दे सकता इसी तरह पमात्मा ने भुत परत कोई योनी बनायीं ही नहीं हे तो इसका सवाल ही क्या हे मेरी सेकड़ो तांत्रिको से बात हुई हे उनका सिर्फ यही कहना हे ये सिर्फ धंदा मात्र हे और कुछ नहीं हे

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