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जहाँ नारी का सम्मान होता हे वही देवता निवाश करते हे इस वैदिक उद्घोष को सर्वप्रथम गुंजायमान करने वाले इस भारत भूमि में आज क्या हो रहा हे वो आपके सामने हे जहाँ कोरवो के एक नारी के असम्मान करने के कारन उनके सारे कुल का सम्पूर्ण विनाश हुआ जिसके लिए स्वयं युगपुरुष श्रीकृष्ण ने अपने पुरे बल से अत्याचारियो को मिटाने में पांडवो का साथ दिया और संसार के सामने उद्धरण रखा के अगर कही नारी का असम्मान होगा तो उसका यही परिणाम होगा पर शायद ये कोरवो के अनुगामी भूल गए हे की उनप्रभु श्रीकृष्ण का रक्त आज भी हमारी धमनियों में प्रवाहित हे जो कहीं भी नारी के असम्मान को बर्दास्त नहीं कर सकता हे औरये आज की बात नहीं हे जबसे सृस्टि की सुरुआत हुई आदि सृस्टि से जहाँ वैदिक ऋषियो ने वेद मंत्रों के उद्घोष से इस सम्पूर्ण सृस्टि को वेदमय बनाया तभी से नारी को समाज में अत्यंत उच्च स्थान प्राप्त हुआ जहाँ ऋषि होते थे वही वेद मंत्रों की ज्ञाता नारियो को भी सम्मान प्राप्त था युद्ध में अगर पुरुष अपना सूर्य दिखाते थे तो नारिया भी उनके कंधे से कन्धा मिलाकर युद्ध करने मे तत्पर होती थी ऐसी इतिहास में हजारो उद्धरण भरे पड़े हे अगर सम्राट सिंघासन पर बैठते थे तो उनके साथ उनकी पत्नी भी बराबर सिंघासन की अधिकारी होती थी मतलब नारी का सम्मान पुरुष से किसी तरह कम नहीं था और ये केवल महाभारत काल की बात नहीं हे उससे ९ लाख वर्ष पूर्व भी इतिहासः उठाकर देखेये जब श्रीराम इस धरा पर साक्षात विध्यमान थे जब उनकी पत्नी सीता का दुस्ट रावण ने बलात अपहरण किया तो उसके परिणाम स्वरुप श्रीराम ने अपनी वैदिक संस्कृति के अनुरूप उसे दंड दिया जिसमे उस दुस्ट रावण के सहित उसके जैसे मनोवृति वाले सारे लोग अपने विनाश को प्राप्त हुए ये ही हमारी वैदिक संस्कृति की महानता हे जब तक विश्व में इस वैदिक संस्कृति का परचम लहराता रहा नारी के सम्मान में कोई कमी नहीं आई और अगर किसी ने ऐसा करने की कोशिश की तो उसे उसका भयानक दंड भोगना पड़ा आज भी अगर विश्व में नारी सम्मान को पुनः स्थापित करना हे तो सम्पूर्ण विश्व को और सर्व प्रथम हम भारत वासियो को वैदिक धर्म को अपने जीवन में पुनः अपनाना होगा ये ही हमारी जड़े हे अगर हम इनसे कट जायेंगे तो हमारा कोई आस्तित्व नहीं रहेगा आज भी समाज में जो इतना अत्याचार अनाचार फेला हुआ हे उसका कारन अपने अपनी उस महान परंपरा को भूल जाना हे जहाँ नारी का अत्यंत उच्च स्थान हे और इसका सबसे पहला स्थान हे अपनी शिक्षा पध्दति को इस बनाये जो नैतिकता से परिपूर्ण हो जहाँ पर शिक्षा संस्थानों में पड़ने वाले बच्चे आपस में बंधू और भगिनी अर्तार्थ भाई और बहन का सम्बन्ध रखे न की पाश्चत्य दुष्प्रवर्ति से प्रभावित होकर बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड का जब तक ये नजरिया नहीं बदलेगा समाज सही दिशा पर नहीं चल पायेगा अगर हम नीव ही सुदृढ़ कर देंगे तो आगे कोई समस्या उत्पन्न नहीं होगी मूल यही हे हमारी शिक्षा प्रणाली सुधर जाये तो समाज स्वयं सुधर जायेगा दूसरा ये भी हे अपराध के अनुरूप सीघ्र न्याय की व्यवस्था हो ताकि कोई भूल कर भी अपराध न करे क्योकि देर से हुआ न्याय भी अन्याय के बराबर हे इसी से अपराधियो के हौसले बढ़ते हे इसलिए किसी भी अपराध के दंड की सीघ्र व्यवस्था भी जरुरी ही ये ही समाज में अपराधों को रोक सकती हे
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